वृश्चिक राशि के जातकों का प्रेम संबंध एक अनोखे प्रकार का होता है। इनका पंचम स्थान मीन से संबंधित है। इसीलिए इस राशि के लोग अक्सर भ्रम के शिकार रहते हैं। वृश्चिक राशि वाले लोग प्रेम के भूखे होते हैं। उनकी शक्ति प्रेम ही होती है। ये प्रेम के बदले प्रेम की चाह रखते हैं। इस राशि के जातक दूसरों पर विश्वास नहीं करते, जिसकी वजह से वह किसी भी स्थिति से निपटने का भार स्वयं ही उठाते हैं और इसकी वजह से ईर्ष्या और संदेह का वातावरण बन जाता है। वृश्चिक राशि के व्यक्ति अपनी इच्छाओं को दूसरों पर थोपते हैं। ये लोग स्वभाव से प्रेमी तथा भावुक होते हैं। वृश्चिक राशि के जातकों की सबसे बड़ी कमजोरी यह होती है कि वे अपने साहस का इस्तेमाल करने और सीधा हमला करने से डरते हैं। हालांकि अपने साहस का प्रयोग करने की बजाय ये अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए व्यापक और चालाक योजनाएं बनाते हैं। बुद्धिमता की कमी के कारण वृश्चिक राशि के लोग खुद अपने लिए समस्या उत्पन्न कर लेते हैं। इस राशि वाले जातक अपनी उपेक्षा सहन नहीं कर पाते हैं। यदि एक बार ये किसी से क्रुद्ध हो जाए तो उसे माफ़ नहीं करते हैं। ये लोग ऊपर से दिखने में शांत होते हैं लेकिन इनके मन में बदला लेने की भावना छिपी होती है जो कि अवसर मिलते ही ये अपने शत्रु पर निर्दयता से चोट कर देते हैं या उसे अन्य तरीकों से हानि पहुंचाने की कोशिश करते हैं। इन कमियों को दूर करने के लिए हिन्दू पद्धति में वृश्चिक राशि के जातकों के लिए कुछ उपाय बताये गए हैं, जैसे- कष्ट होने पर हनुमान चालीसा और रामायण का पाठ करें तथा महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र और रामनाम का जाप कर सकते हैं।